श्री दरबार साहिब जी के पूर्व हुजूरी रागी, पंथिक प्रमुख और ख्यात कीर्तनिए जत्थेदार भाई बलदेव सिंह वडाला ने राजनीति में कदम रखा
महाराजा रणजीत सिंह जी की 185 वीं पुण्यतिथि पर भाई वडाला द्वारा शेर-ए-पंजाब दल की घोषणा
देश के ऊपर लगे गंदले पंजाब के ठप्पे को हटा कर रहूँगा : वडाला
शेर-ए-पंजाब दल बाबा बंदा सिंह बहादुर, सिख मिसलों और महाराजा रणजीत सिंह द्वारा स्थापित खालसा सरकार की तर्ज पर फिर से रंगले पंजाब का निर्माण करेगा
चण्डीगढ़ : श्री दरबार साहिब से पवित्र ग्रन्थ साहिब जी के 328 स्वरूप गायब होने के अंत्यंत गम्भीर गुनाहकुन मामले, संगतों को मुफ्त मुहैया कराई जाने वाली सरायों को आलिशान होटलों में बदलकर व्यवसायीकरण करने एवं गुरुघर के लंगर की जूठन में भी घोटाला करने के साथ साथ युवाओं के नशाखोरी का शिकार हो जाने जैसे मामलों से पंजाब की जनता बेहद त्रस्त है ही, ऊपर से एक के बाद एक कांग्रेस, अकाली-भाजपा और अब आप पार्टी के भी आशाओं पर खरा ना उतरने से निराशा का भी माहौल है इस सबको देखते हुए श्री दरबार साहिब जी के पूर्व हुजूरी रागी, पंथिक प्रमुख और विश्वप्रसिद्ध कीर्तनकार जत्थेदार भाई बलदेव सिंह वडाला ने आज शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह जी की 185वीं पुण्यतिथि पर राजनीतिक दल शेर-ए-पंजाब दल के गठन की घोषणा की। आज यहां चण्डीगढ़ प्रेस क्लब में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों को संबोधित करते हुए भाई वडाला ने पार्टी के गठन के कारणों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि केंद्र और पंजाब की राजनीति में पंजाब और पंथ के हितों को लगातार नजरअंदाज किया गया है। चाहे वह कांग्रेस सरकार हो, अकाली-बीजेपी हो या अब आम आदमी पार्टी, या इनमें से दलबदलू नेता हों। यहां तक कि पंजाब की क्षेत्रीय पार्टी होने का दावा करने वाले शिरोमणि अकाली दल का उद्देश्य केवल परिवार के लिए सत्ता हासिल करना ही रह गया है, जिसके कारण यह कभी पंथिक कहे जाने वाला दल हाशिए पर पहुंच गया है और अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब के ऐसे बदतर हालात में बेचैन पंजाब को अपनी क्षेत्रीय पार्टी की जरूरत थी, इसलिए यह आवाज उठाना समय की मुख्य जरूरत थी। यह फैसला पंजाब-समर्थक लोगों के सुझावों के अनुसार ही किया गया है, जो आवाज महाराजा रणजीत सिंह जी के निधन के बाद कभी नहीं उठी। सिख पंथ और पंजाब की चुनौतियों, समस्याओं और मूल्यों की रक्षा के लिए एक नए राजनीतिक दल शेर-ए-पंजाब दल की स्थापना की जा रही है। यह दल मानव अधिकारों, सिख, हिंदू, मुस्लिम, ईसाई भाईचारे की एकता, सहयोग और सामर्थ्य की नई लहर लाने का वचनबद्ध होगा। उन्होंने कहा कि पार्टी की संगठनात्मक संरचना, संविधान और घोषणा पत्र का ऐलान जुलाई के अंत तक कर दिया जाएगा।
पार्टी के उद्देश्य : पार्टी के उद्देश्यों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि शेर-ए-पंजाब दल का उद्देश्य पंजाब में नशा, बेरोजगारी, कर्जमुक्ति, पानी के अधिकार, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, उद्योग, रोजगार, सुरक्षा और बंदी सिखों की बिना शर्त तत्काल रिहाई, किसानों, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों के खिलाफ गलत कानूनों को समाप्त करना, रिहाई के साथ-साथ गुरुद्वारा प्रबंधन सुधार के लिए एसजीपीसी को सभी गुटों से मुक्त कराकर धार्मिक मूल्यों की पुनः बहाली, बेअदबी मामलों और 328 पवित्र ग्रंथों के न्याय के लिए खालसा धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक सरकार की स्थापना करना होगा। इस मौके पर उपस्थित सदस्यों में भाई गुरमीत सिंह थूही, कार्यकारी पंजाब अध्यक्ष भाई जोगिंदर सिंह, सहायक सचिव भाई अमरपाल सिंह जी, कोषाध्यक्ष भाई गुरवतन सिंह होशियारपुर, भाई अवतार सिंह लुधियाना, भाई रंजन सिंह बठिंडा, भाई अरविंदर सिंह, भाई गुरबख्श सिंह, भाई अवतार सिंह, जगराज सिंह संगरूर, भाई प्रेम सिंह, भाई गुरप्रीत सिंह कपूरथला, भाई बहादुर सिंह, कैप्टन भाई बिकर सिंह, कैप्टन भाई परमजीत सिंह टूसा, भाई जगमिंदर सिंह, भाई सुखप्रीत सिंह भंगाली, बीबी भूपिंदर कौर, भाई हरदीप सिंह चंडीगढ़, भाई लाभ सिंह मोहाली, भाई बलराज सिंह, भाई गुरमीत सिंह वडाला, बीबी परमजीत कौर औजला, बीबी सिमरनजीत कौर लुधियाना, भाई परमजीत सिंह जी भकना, भाई हरदीप सिंह पठापुर, भाई हरदेव सिंह, भाई सतवंत सिंह वेरका, भाई सरबजीत सिंह, भाई जगराज सिंह, बीबी गुरदेव कौर, भाई दिलबाग सिंह, भाई निर्मल सिंह, भाई गुरविंदर सिंह चंडीगढ़ व भाई सुखविंदर सिंह चंडीगढ़ शामिल थे।