एस्मा जैसा काला कानून निजीकरण विरोधी आंदोलन को रोक नहीं पाएगा : ध्यान सिंह

निजीकरण और एस्मा लागू करने के खिलाफ बिजली कर्मचारियों ने किया जोरदार प्रदर्शन

13 दिसंबर को राष्ट्रीय “निजीकरण विरोधी दिवस” मनाया जाएगा, देशभर में होंगे प्रदर्शन : सुभाष लांबा

चंडीगढ़ व उप्र डिस्कॉम के निजीकरण की लड़ाई राष्ट्रीय स्तर पर भी लड़ी जाएगी : सुदीप दत्ता

चंडीगढ़ का कर्मचारी अंतिम सांस तक निजीकरण के खिलाफ करेगा संधर्ष : जोशी

चंडीगढ़, राखी: निजीकरण की प्रक्रिया तेज करने और आंदोलन को कुचलने के लिए एस्मा लागू करने के खिलाफ शुक्रवार को बिजली कर्मचारियों ने सेक्टर 17 में जोरदार आक्रोश प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में निजीकरण के खिलाफ चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने के लिए एस्मा जैसे काले कानून को पुनः लागू करने और कौड़ियों के भाव में विधुत विभाग को निजी कंपनी को सौंपने के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। जिसकी अध्यक्षता यूटी पावर मैन यूनियन चंडीगढ़ के अध्यक्ष ध्यान सिंह ने की। महासचिव गोपाल दत्त जोशी द्वारा संचालित इस प्रदर्शन में सैकड़ों की संख्या में बिजली एवं अन्य विभागों के कर्मचारियों के अलावा पावर इंजीनियर फेडरेशन के संरक्षक पदमजीत सिंह,इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (ईईएफआई) के उपाध्यक्ष सुभाष लांबा, सचिव सुदीप दत्ता आदि नेता भी शामिल हुए। श्री गोपाल दत्त जोशी ने दो टूक कहा कि चंडीगढ़ का बिजली कर्मचारी निजीकरण के खिलाफ अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ेगा। प्रधान ध्यान सिंह ने कहा कि एस्मा जैसा काला कानून लागू करने से निजीकरण के खिलाफ आंदोलन कमजोर नहीं किया जा सकता। उन्होंने हरियाणा, पंजाब, हिमाचल व जम्मू-कश्मीर सहित देश के सभी राज्यों के बिजली कर्मचारियों और चंडीगढ़ के उपभोक्ताओं तथा अन्य विभागों के कर्मियों से मिल रहे अपार समर्थन पर भी प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि प्रशासन कर्मचारियों की सेवा शर्तों को लेकर बयानबाजी कर रही है लेकिन गंभीरता से बातचीत करने को तैयार नहीं है। नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज एंड इंजीनियर (एनसीसीओईईई) के वरिष्ठ सदस्य एवं ईईएफआई के उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि एनसीसीओईईई के आह्वान पर शुक्रवार को चंडीगढ़ और उप्र डिस्कॉम के निजीकरण के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं। उन्होंने कल प्रशासन की ओर से जारी बयान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि देश में सबसे सस्ती दरों पर बिजली देने के बावजूद प्रति वर्ष सैकड़ों करोड़ रुपए मुनाफा कमाने वाले सरकारी विभाग को कौड़ियों के भाव में निजी हाथों में सौंपना आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना नहीं है बल्कि यह पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना कहलाता है। उन्होंने कहा कि विभाग की हजारों करोड़ की परिस्थितियों  को मात्र 871 करोड़ में एक निजी कंपनी को सौंपा जा रहा है। इसमें भारी भ्रष्टाचार की बू आ रही है। जिसकी जांच की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कोलकाता की वह कंपनी है, जिसने इलेक्ट्राल बांड में भाजपा को सैकड़ों करोड़ रुपए चंदा दिया था। उन्होंने सवाल किया कि चंडीगढ़ प्रशासन को जनता को बताना चाहिए कि निजी कंपनी वर्तमान दरों पर ही बिजली देंगे या कोलकाता के 8 रुपए से ज्यादा रेट पर देगी? इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (ईईएफआई) के राष्ट्रीय सचिव सुदीप दत्ता ने कहा कि पुरे देश के 27 लाख बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर चंडीगढ़ व उप्र के कर्मचारियों के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि 13 दिसंबर को राष्ट्रीय निजीकरण विरोधी दिवस का आयोजन किया जाएगा। जिसमें देशभर में बिजली कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करेंगे।

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