चंडीगढ़, राखी: पिछले काफी समय से भाजपा सरकार किसान विरोधी सरकार बताया जा रहा है, यह बात पंजाब में आज पूरी तरह से साबित होती नजर आ रही है। पंजाब भाजपा के बड़े नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री फतेह जंग सिंह बाजवा, हनीला बाजवा पत्नी फतेह जंग सिंह बाजवा ने वर्तमान उत्तराधिकारियों के दादा को 1947 में जमीन बेचने वालों के उत्तराधिकारियों (हरसिमरन सिंह पुत्र हरविंदर सिंह पुत्र शमशेर सिंह और गुरसिमरन सिंह पुत्र हरविंदर सिंह पुत्र शमशेर सिंह), माजरी उपतहसील की पूर्व तहसीलदार जसबीर कौर और गांव रसूलपुर के पटवारी अभिजोत और तरनवीर सिंह के साथ मिलकर हमारी करोड़ों की तीन एकड़ जमीन (अराजी खेवट/खतौनी नंबर 169/181 के अनुसार, खसरा नंबर) 1//13 (1-10), 17(8-0), 18(6-14), 23(8-0), 24(8-0), 4//3(8-0), 4( 8-0) , कीते 7, रकबा 48 कनाल 4 मरला 1/2 भाग बकदर 24 कनाल 2 मरला, रकबा गांव रसूलपुर, हदबस्त नंबर 163, उपतहसील माजरी, तहसील खरड़, जिला एसएएस) की रजिस्ट्री तैयार कर अपने नाम रजिस्टर्ड करवा ली। इसकी जानकारी मौजूदा वारिसों को तब हुई जब कुछ अज्ञात लोगों ने उन्हें खेत में जाते समय रास्ते में रोका और कहा कि यह जमीन अब फतेह जंग सिंह बाजवा व अन्य की है और जल्द ही इस पर कब्जा कर लिया जाएगा। यदि आप पीछे नहीं हटे तो जैसे आपके बुजुर्गों की रजिस्ट्री का अस्तित्व नहीं रहा, वैसे ही आपका भी अस्तित्व मिट जाएगा। जब यह बात परिवार के सभी सदस्यों को बताया तो पूरा परिवार सदमे में आ गया। जब वारिसों ने इस रजिस्ट्री के बारे में आंतरिक जांच की तो पता चला कि बाजवा ने सच्च में तीन एकड़ जमीन की रजिस्ट्री अपने नाम करवा ली है। गांव रसूलपुर, उपतहसील माजरी, तहसील खरड़, जिला मोहाली में यह तीन एकड़ कृषि योग्य भूमि (जिसे 1947 में वारिसों के दादा द्वारा खरीदी गई थी) को 1947 में खरीदने के बाद से खरीदार के उत्तराधिकारियों द्वारा खेती की जा रही है। इस जमीन के अभी कुल 16 वारिस हैं। बाजवा ने 19 दिसंबर 2023 को सबसे पहले इस जमीन के 1947 से पहले के वंशानुगत मालिक के पोते (हरसिमरन सिंह पुत्र हरविंदर सिंह पुत्र शमशेर सिंह और गुरसिमरन सिंह पुत्र हरविंदर सिंह पुत्र शमशेर सिंह) के साथ मिलकर इस जमीन को हड़पने की साजिश रची और 18 जुलाई 2024 को एक सामान्य पावर ऑफ अटॉर्नी अपनी पत्नी के नाम करवा ली। फतेह जंग सिंह बाजवा ने फिर 2 अगस्त 2024 को, 1947 से पहले के वारिसों के पोते (हरसिमरन सिंह पुत्र हरविंदर सिंह पुत्र शमशेर सिंह और गुरसिमरन सिंह पुत्र हरविंदर सिंह पुत्र शमशेर सिंह), तहसीलदार जसबीर कौर, पटवारी अभिजोत सिंह के साथ मिलकर सिंह उस भूमि का विरासत हस्तांतरित करवा लिया। इसके बाद 19 अगस्त 2024 को फतेह जंग सिंह बाजवा ने तहसीलदार जसबीर कौर के साथ मिलकर इस जमीन को हड़पने के लिए अपनी पत्नी हनीला बाजवा के नाम पर रजिस्ट्री करवा ली। इस जमीन घोटाले में उनके साथ कंवर प्रताप सिंह बाजवा, मुल्लापुर गरीबदास के नंबरदार बलदेव सिंह, राजविंदर सिंह पुत्र लखविंदर सिंह और वसीका नवीस एडवोकेट विकास गुप्ता भी इस रजिस्ट्री को करवाने की साजिश में शामिल हैं।
1947 में जमीन खरीदने वाले के वारिसों की चौथी पीढ़ी से अमनदीप सिंह, जितेंद्र सिंह और अमरिंदर सिंह ने मीडिया के सामने अपने दर्द बया करते हुए बताया कि 1947 की हमारी रजिस्ट्री की रजिस्टर्ड कॉपी (उर्दू में), जमीन की जमाबंदी फरद जो हमारे सभी उत्तराधिकारियों के नाम का उल्लेख है और रिकॉर्ड में भी दर्ज है। यह जमीन हमारे सभी उत्तराधिकारियों के नाम होने के बावजूद भी फतेह जंग सिंह बाजवा ने तहसीलदार और पटवारी के साथ मिलकर हमारी करोड़ों की जमीन हड़प ली है। हमने इस भूमि घोटाले के बारे में पंजाब के मुख्यमंत्री, डीसी मोहाली, विजिलेंस विभाग पंजाब और ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन पंजाब के साथ-साथ माजरी के नए तहसीलदार और पटवारी तरनवीर सिंह को लिखित रूप से सूचित किया। उन सभी को लिखित पत्र देकर इस जमीन घोटाले को रोकने का अनुरोध भी किया गया ताकि हमारी जमीन का विरासत का इंतकाल समय रहते हुए रुकवाया जा सके। डीसी मोहाली ने हमारे अनुग्रह पर अमल करते हुए तुरंत कार्रवाई करते हुए एसडीएम खरड को मार्क कर दिया। लेकिन एसडीएम खरड़ ने हमारे जमीन घोटाले की याचिका को ठंडे बस्ते में डाल दिया। एसडीएम द्वारा समय पर कार्रवाई न होने के कारण हमारे गांव के पटवारी तरनवीर सिंह ने अपनी मनमानी की। पटवारी तरनवीर सिंह को विरासत हस्तांतरित न करने का पत्र देने के बावजूद इस फर्जी रजिस्ट्री का हस्तांतरण फर्द में प्रस्तुत कर अनुमोदन के लिए भेज दिया। पीड़ित परिवार से अमनदीप सिंह, जितेंद्र सिंह और अमरिंदर सिंह ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पंजाब के सीएम से अनुरोध किया कि अगर आप सरकार कहते हैं कि हमारी सरकार में कोई भ्रष्टाचार नहीं हो रहा है। हम भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म कर रहे हैं। अगर आपकी सरकार में कोई भ्रष्टाचार नहीं हो रहा, तो आपकी सरकार होते हुए भी बाजवा द्वारा जमींदार का हक केसे छीन लिया? मौजूदा अधिकारी उन पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे हैं? हम सभी वारिसों का अनुरोध है कि इस मामले की गहनता से जांच की जाए। इस फर्जी रजिस्ट्री को तोड़ा जाए और इस फर्जी रजिस्ट्री करने वाले सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और हमारा हक हमें वापस दिलाया जाए।
एक्सप्रेस कॉन्फ्रेंस में जमीन के वारिस नैब सिंह, सोहन सिंह, बहादुर सिंह, मोहन सिंह, गुरपाल सिंह, जसवीर सिंह, जितेंद्र सिंह, अमनदीप सिंह, भूपेंद्र सिंह, अमरिंदर सिंह, सर्बजीत कौर, गुरमीत सिंह और रविंद्र सिंह के इलावा नंबरदार त्रिलोचन सिंह और गांव के मौजूदा सरपंच गुरमेल सिंह भी मौजूद रहे।