चंडीगढ़, राखी: पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के संस्कृत विभाग में 29 नवंबर 2024 को शोधपरिषद की विश्वविद्यालीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस शोध संगोष्ठी में संस्कृत के शोधार्थियों ने भाग लिया जिसमें दो शोध छात्रों ने अपने-अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये. शोध छात्र अंशुल चौधरी ने “स्वामी दयानंद सरस्वती जी का शिक्षा दर्शन” इस विषय को आधार बनाकर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया. दूसरी शोध छात्रा रितु ने “अभिज्ञानशाकुंतलम् में पर्यावरण चिंतन” इस विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया. शोध पत्र प्रस्तुत करने के उपरांत संगोष्ठी में बैठे हुए प्राध्यापकों द्वारा एवं शोध छात्रों द्वारा शोध पत्र में आए विषयों पर चर्चा परिचर्चा की. युग दृष्टा स्वामी दयानंद सरस्वती जी की शिक्षाएं वर्तमान में किस तरह से प्रासंगिक हैं एवं उनके सुझाए हुए शिक्षा दर्शन का अनुकरण कर हम अपने जीवन एवं समाज को किस तरह से अच्छा बना सकते हैं ऐसे विषयों पर परिचर्चा हुई. कालिदास के अभिज्ञान शाकुंतलम में किस तरह से मानव का प्रकृति के साथ संबंध है प्रकृति मानव की किस तरह से पूरक है प्रकृति के बिना मानव का जीवन अधूरा है इस विषय पर प्रकाश डाला गया. शोध परिषद की शोध संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार अलंकार द्वारा की गई. इस शोध संगोष्ठी में सहाचार्य डॉक्टर सुनीता देवी एवं विभाग के (शोध प्रभारी) सहायक आचार्य डॉ तोमीर शर्मा एवं डॉ विजय भारद्वाज उपस्थित रहे. शोध संगोष्ठी में शोध छात्र अंशुल चौधरी, अपूर्व शर्मा, संदीप कुमार, रितु रानी ,तथा रितु उपस्थित रहे. यह शोध संगोष्ठी संस्कृत विभाग में प्रतिमाह आयोजित की जाएगी. दिसंबर माह की 19 तारीख को अगली शोध संगोष्ठी रहेगी जिसमें शोधार्थियों द्वारा अपने शोध पत्र प्रस्तुत कर उन पर परिचर्चा की जाएगी.