अपनी जायज मांगों को लेकर मुख्यमंत्री निवास को घेरने पहुंचे राज्य के हजारों कंप्यूटर अध्यापक

कहा पंजाब सरकार अपने वादों से मुकरी, रेगुलर होने के बावजूद 19 सालों से सड़कों पर हो रहे हैं परेशान

मोहाली / चंडीगढ़ (राखी): अपनी जायज मांगों को लेकर पिछले 15 दिनों से संगरूर में भूख हड़ताल कर रहे राज्य भर के कंप्यूटर अध्यापकों द्वारा लगातार अलग-अलग एक्शन आयोजित करते हुए अपने जायज अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की जा रही है। इसी क्रम में आज राज्य भर से आए कंप्यूटर अध्यापकों ने पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के कार्यालय के सामने एकत्र होकर पंजाब सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ स्थित मुख्यमंत्री निवास की ओर मार्च किया, लेकिन चंडीगढ़ में प्रवेश करने से पहले ही उन्हें पुलिस प्रशासन द्वारा रोक लिया गया। जहां कंप्यूटर अध्यापकों द्वारा राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की गई। इस मौके पर बोलते हुए कंप्यूटर अध्यापक नेता परमवीर सिंह, प्रदीप मलूका, रजवंत कौर, लखविंदर सिंह, गुरबख्श लाल, जसपाल ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा उनके साथ लगातार वादाखिलाफी की जा रही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के साथ-साथ शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस और वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा द्वारा कंप्यूटर अध्यापकों की सभी जायज मांगों को पूरा करने और उनके अधिकार बहाल करने के लिए जो घोषणाएं की गई थीं, वे सिर्फ झूठे वादे ही साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारें भी उनके साथ ऐसा ही करती रही हैं और अब मौजूदा आम आदमी पार्टी की सरकार भी उनके नक्शेकदम पर चलते हुए कंप्यूटर अध्यापकों का आर्थिक और मानसिक शोषण कर रही है। जो कि निंदनीय है और इसकी जितनी निंदा की जाए कम है। कंप्यूटर अध्यापक नेताओं ने बताया और घोषणा की कि कंप्यूटर अध्यापकों द्वारा संगरूर में बीती 1 सितंबर से की जा रही भूख हड़ताल को जल्द ही आमरण अनशन में बदला जा रहा है, वहीं कंप्यूटर अध्यापकों द्वारा बड़े पैमाने पर राज्य भर में ये संघर्ष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जब तक उनके सारे अधिकार बहाल नहीं कर दिए जाते, तब तक उनका संघर्ष लगातार जारी रहेगा, जिसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।————–क्यों कर रहे हैं कंप्यूटर अध्यापक संघर्ष? कंप्यूटर अध्यापकों ने बताया कि रेगुलर होने के बावजूद भी वे पिछले 19 सालों से लगातार अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन न तो उनकी पहले किसी सरकार ने सुनी और न ही अब मौजूदा सरकार ने उनकी बात सुनी है। उन्होंने कहा कि साल 2011 में तत्कालीन पंजाब सरकार द्वारा उनकी सेवाओं को रेगुलर करते हुए उन्हें पंजाब सिविल सर्विसेज के अधीन सारे लाभ देने के सम्बन्ध में नोटिफिकेशन जारी किया था। लेकिन जैसे-जैसे समय बीत रहा है, राज्य सरकार द्वारा उनके दिए गए अधिकार भी छीने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अन्य कर्मचारियों की तरह उन्हें अभी तक छठे वेतन आयोग का लाभ नहीं दिया गया है, जबकि उन्हें पहले 5वें वेतन आयोग के अनुसार वेतन मिल रहा है। किसी भी कंप्यूटर अध्यापक को आज तक मेडिकल प्रतिपूर्ति का लाभ नहीं दिया गया है। राज्य भर में लगभग 100 के करीब कंप्यूटर अध्यापकों की मृत्यु हो चुकी है, लेकिन अन्य कर्मचारियों की तरह उनके परिवार के सदस्यों को राज्य सरकार द्वारा किसी भी प्रकार का वित्तीय लाभ या सरकारी नौकरी नहीं दी गई, जो कि निंदनीय है। उन्होंने कहा कि उनकी सिर्फ एक ही मांग है कि छठे वेतन आयोग सहित उनके रेगुलर आदेशों में दर्ज सभी लाभ बिना शर्त बहाल किए जाएं और उन्हें शिक्षा विभाग में मर्ज किया जाए।

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